शिक्षक की विधार्थियों से आस
प्रिय पाठक गण,
बदलते हुए परिवेश में जहाँ शिक्षक का सम्मान कम होता जा रहा है। शिक्षक को केवल पूँजी पर ध्यान केंद्रित करने वाला माना जा रहा है, परंतु ऐसा कदापि नहीं है। प्रत्येक गुरु अपने शिष्य को सफलता के शिखर पर बैठा हुआ देखना चाहता है । प्रत्येक छात्र की आर्थिक, मानसिक, शारीरिक हर प्रकार की क्षमता तथा अक्षमता का गुरु के द्वारा ध्यान रखा जाता है। गुरु छात्रों को उनकी अक्षमताओं से उभारकर कर प्रोत्साहित करता है तथा जीवन में सफल होने, आगे बढ़ने, निरंतर सच्चाई के रास्ते पर चलने,मानवीय गुणों का विकास करने आदि पर बल देता है।
आज का शिक्षक भी पूर्व की तरह अपने शिष्यों को सफल बनाने की इच्छा रखता है परंतु आज का शिक्षक कुछ हाथों की कठपुतली बन गया है।
परंतु आज भी वह पूर्ण निष्ठा से अपने विद्यार्थियों के हुनर को निखार कर, उनको सर्वगुण संपन्न बनाने का निरंतर प्रयास करता रहता है और उनको सच्चा मानव बनाना ही उसके जीवन का उद्देश्य है।
इस भावाभिव्यक्ति को कविता के माध्यम से प्रस्तुत कर रही हूँ। मैं उम्मीद करूँगी कि आप वर्तमान परिप्रेक्ष्य में उसको सच महसूस करेंगे।
आओ मित्रो तुम्हें बताऊँ, शिक्षक की तकदीर मैं।
जीवन उसका अस्त-व्यस्त है, नियमों की लकीर में।।
मर्यादित रह, हक के खातिर जो लड़ना तुम्हें सिखाता है।
राजनीति के बने कुचक्र में, वह खुद वंचित रह जाता है।।
व्यक्तिगत स्वार्थ कुछ नहीं, बस शिक्षण ही उसका ध्येय है।
दिया ज्ञान, हुनर, मानवता, पर पाया कितना श्रेय है?
जंजीरों में विचार स्वतंत्रता ,व्यवस्था की है कठपुतली ।
यह कैसा दुर्भाग्य है उसका, जो किस्मत उसकी बदली ।।
जीवन उसका बड़ा कठिन है ,पर तुम से कह नहीं पाता है।
आगे बढ़ना ,कभी ना झुकना, प्रतिदिन तुम्हें सिखाता है।।
संघर्ष वान तुम बन पा जाओगे, देश का परचम लहराओगे।
जीवन पथ पर बढ़ते-बढ़ते, तुम ना कभी लड़खड़ाओगे।
देश में व्याप्त गरीबी को, मिलकर जड़ से मिटाओगे ।।
भ्रष्टाचार से लिप्त जगत में, कुछ सुधार तुम लाओगे।।
उसकी तुमसे आस यही है, ईश्वर से अरदास यही है ।
उसके शिष्य, बनें सब मानवीय, उसका तो विश्वास यही है।।
तुम ही उसकी आशा हो, तुम ही हो स्वतंत्र विचार ।
तुमसे ही तो वह खुद है, तुमसे ही भावों का प्रचार।।
नीरू शर्मा
Salute to Neeru ma'am
जवाब देंहटाएंसटीक अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंBadhiya Neeru
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