प्रतापगढ़ का सफर
प्रिय पाठकगण,
आज मैं आपके सम्मुख 29 फरवरी 2020 को मेरे विद्यालय द्वारा आयोजित शिक्षक भ्रमण की बात कर रही हूंँ। प्रतापगढ़ एक अद्भुत और रमणीय स्थान है किंतु वहाँ तक पहुँचने का हमारा सफर अत्यधिक जिज्ञासु प्रवृत्ति वाला रहा ,उस सफर के दौरान तथा वहाँ पहुँचने के बाद जो मैंने अनुभव किया उसे आपके सम्मुख सांझा कर रही हूँ।
दिनांक-29/02/2020
प्रतापगढ़ का वह सफर,
चलता रहा एक पहर ।
समूह में शिक्षिकाओं का गायन,
नेहा मैम का यू सत मौला देना ।।
रुचि मैम की मधुर मुस्कान,
उदास चेहरे को खिला देने वाला मधुर स्पंदन।
शिवानी मैम का यूँ बार-बार समय देखना,
पिंकी और नादिया मैम का अपनी बातों में खोए रहना।।
लंबे सफर की सबके सुंदर मुख पर उदासी,
बस पहुँँचने ही वाले हैं, शब्दों को सुनकर खिल उठना।
बार-बार गॉगल्स को सिर पर रखकर बाल सम्भालना ,
शुभम सर का गहरी नींद में सो जाना
वीरेंद्र सर का चुपचाप बैठे रहना।।
गेहूँँ की बालियों के आगमन पर लहाई द्वारा अभिनंदन,
तेज हवा के झोंकों से बस की खिड़की का ये क्रंदन।
मुशीर सर का यूँँ सभी को खाद्य पदार्थों का वितरण,
पहुँँचने की अभिलाषा और मन का उत्साहित होना।।
प्रवेशिका पर ओमप्रकाश से रोली और फूलार्पण,
मिट्टी की सौंधी सुगंध और देसी व्यंजन से मोहित मन।
दूध,जलेबी,चाय,पकौड़े,मक्की,बा जरे से रोमांचित मन,
यूँ सब का गोल घेरा बनाकर हाथों में मेहंदी लगवाना।।
यूँँ बैठ ऊँँट पर इतरा कर सबकी फोटो खिंचवाना,
कठपुतली का नृत्य और गुलेल का यूँ खींचा जाना।
बैलगाड़ी का स्पर्श पा यूँँ बचपन की यादों में खोना,
रंग बिरंगे फूलों पर यूँँ रिमझिम बारिश का होना।।
मुग्ध हृदय के प्रांगण में यूँँ प्रकृति का खिल जाना,
अद्भुत और मनोहर था ग्रामीणों द्वारा अभिवादन।
दुख पीड़ा और निराशा का एक क्षण में अदृश्य हो जाना,
अद्भुत था वो मिलजुल कर सब का आपस में बतियाना।।
रमणीय प्रकृति की गोदी में खुद से खुद को ले जाना।।।
नीरू शर्मा
[©]
Ati uttam mam
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