खुद को पहचान

 

प्रिय पाठकगण

इस  भागदौड़ भरे जीवन में हम इतने व्यस्त हो जाते हैं कि खुद की शक्तियों को भी नहीं पहचान पाते जबकि ईश्वर की समस्त शक्तियाँ हमारे अंदर ही समाहित हैं। इन शक्तियों को एकत्रित कर हम बड़ी से बड़ी चुनौतियों  का भी सामना कर सकते हैं । कविता के माध्यम से स्व की  उन्हीं शक्तियों को जगाने का प्रयास किया गया है। 




कर्तव्य पथ पर चलते चलते खुद को ना तुम जाना भूल । 

आत्मसम्मान ही सर्वोपरि है, तू उसको सबसे पहले कुबूल।। 


अंतर्मन से खुद को जान ,फिर होगी ईश्वर से पहचान। 

लक्ष्य बना कुछ जीवन के, पूरा उनको करने का ठान।। 


प्रगति मार्ग पर बढ़ते बढ़ते, कुछ  बाधाएँ आएँगी।

कभी तुझको बहुत सताएँगी, कभी तुझको बहुत डराएँगी।। 


तेरा स्व से परिचय ही तुझ को बाहर ले आएगा। 

हर विपदा और हर संकट से तुझको वही बचाएगा।। 


समय स्वयं को देना तू, तेरा जीवन है सबसे अलग। 

भागदौड़ के जीवन में ना तू होना खुद से विलग।। 


तेरा खुद से परिचय ही, ईश्वर से साक्षात्कार है। 

 तू सबसे अलग, अनोखा है, तू सबसे बड़ा चमत्कार है।। 


प्रकृति का प्राकाट्य तुझी से, तुझसे जग विस्तार है। 

मानवता का मान तुझी से,तू  वसुधा का श्रृंगार है।। 


तू ईश्वर की अमूल्य कृति,खुद को तू पहचान ले। 

सर्व समर्थ और शक्ति प्रणेता खुद को तू ही मान ले।। 


तुझ में मानवता भर कर , ईश्वर ने तुझे संवारा है। 

तू तेज पुंज और ज्योति है तू समृद्धि का किनारा है।। 


सबसे पहले खुद को जान, अपनी अहमियत तू पहचान।

करोड़ों की भीड़  में तू पाएगा सर्वोत्कृष्ट  सम्मान।। 

(©) नीरू शर्मा


Dear readers


We get so busy in this run-of-the-mill life that we do not even recognize our own powers while all the powers of God are embedded in us. By collecting these powers, we can also face the biggest challenges. An attempt has been made to awaken the same powers of self through poetry.





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