रे मानव तू नहीं बदला
मानव को बुद्धि, विवेक तथा धैर्य के कारण इस धरा पर सबसे उच्च स्थान प्रदान किया गया है । उसके अंदर ईश्वर ने करुणा, दया तथा परोपकार के मानवीय गुण भरे हैं। लेकिन पुराने समय से ही यह देखा गया है कि मानव अपनी लालची प्रवृत्ति के कारण छल और पाखंड के रास्ते को ही अपनाता है। मानव को सही रास्ता दिखाने के लिए, शास्त्रों के अनुसार, ईश्वर ने कई रूप धरे हैं ताकि मानव को उसके कर्तव्यों से परिचित कराया जा सके। परंतु मानव की लालची प्रवृत्ति पर उसका कोई प्रभाव दिखाई नहीं देता है। दिन बदला और माह बदला, बदल गया पूरा साल। रे मानव पर तू नहीं बदला, तेरा वही है हाल ।। तेरे मन के बैर भाव ने तुझको कर दिया काला है , लालच की आँधी ने तुझको पाप कुएँ में डाला है। बढ़ती इच्छा, तृष्णा का तुझ पर छाया जाल है , मानव महामारी का तू ही बना हुआ भूचाल है।। दिन बदला और माह बदला, बदल गया पूरा साल । रे मानव पर तू नहीं बदला, तेरा वही है हाल।। महाभारत के घोर युद्ध ने सबको पाठ पढ़ाया था।, ना तृष्णा, ना लालच रखना यह सब को समझाया था ।। मानवता ही सर्वोपरि है, मानव में वह व्याप्त है , अपने इस सद्गुण को रे सठ ,तूने किय