दिवाली मनाएँगे हम

 

 प्रिय पाठक गण 

दीपावली केवल प्रकाश  फैलाने  का ही त्योहार नहीं है अपितु  उम्मीद, आशा, सुरक्षा तथा अच्छे स्वास्थ्य का भी प्रतीक है । दीपावली पर जलते हुए दीये अमावस्या के घोर अंधकार को प्रकाश में बदल देते हैं अर्थात अमावस्या अंधकार तथा निराशा रूपी विपदाओं का प्रतीक है और जलते हुए दीये जीवन में आशा की किरण लाने के प्रतीक हैं। जहाँ राम के वापस अयोध्या लौटने पर दीये जलाकर उत्सव मनाया जाता है वहीं जलते हुए दीये इस बात के भी सूचक हैं कि अब समस्याओं के लहराते हुए बादल, निराशा, तकलीफ  तथा अंधकार समाप्त हो गया है और उसका स्थान आशा रूपी दीपक ने ले लिया है। इसी पर आधारित एक कविता प्रस्तुत है। 

 वहीं हमारे मान्यवर प्रधानमंत्री जी भी दीयों के प्रयोग पर बल देते हैं। हमें अपने लघु और कुटीर उद्योग को आगे बढ़ाना चाहिए ताकि सभी लोगों को रोजगार मिल सके। रोजगार की समस्या एक आम समस्या है और हम सभी इस समस्या से भलीभाँति परिचित हैं । अतः कुम्हार अपने इस दीये, मटके, कुल्हड़ आदि कार्य को जारी रखें  उसके  लिए हम सभी को अपने ही देश में निर्मित हो रहीं वस्तुओं के प्रयोग पर बल देेेेना चाहिए। 




दिवाली मनाएँगे हम, दिवाली मनाएँगे। 

आशा की किरण से हम, निराशा को भगाएँगे ।। 

दिवाली मनाएँगे हम ,दिवाली मनाएँगे ।।। 



रोजगार लाएँगे हम ,दिए ही जलाएँगे । 

लंबी उमर के लिए, ईश्वर को मनाएँगे ।। 

दिवाली मनाएँगे हम ,दिवाली मनाएँगे ---------



दुख और निराशा रूपी पतंगे ,भस्म हो जाएँगे । 

जलते दीये में  हम, ईर्ष्या को जलाएँगे ।। 

दिवाली मनाएँगे हम ,दिवाली मनाएँगे ---------



दीये की जोत से हम, माँ लक्ष्मी को बुलाएँगे । 

हर एक घर में हम, खुशहाली ले आएँगे ।। 

दिवाली मनाएँगे हम ,दिवाली मनाएँगे ---------



ईश्वर के चरणों में ,श्रद्धा से झुक जाएँगे । 

अपनी संस्कृति को विश्व भर में फैलाएँगे ।। 

दिवाली मनाएँगे हम ,दिवाली मनाएँगे ---------



अच्छे स्वास्थ्य की अलख हम जगाएँगे। 

हरे विपदा को  मिलकर, दूर हम भगाएँगे ।। 

दिवाली मनाएँगे हम ,दिवाली मनाएँगे ---------



तम का विनाश कर ,उजियारा फैलाएँगे । 

फैली बुराइयों को आग में जलाएँगे।। 

 दिवाली मनाएँगे हम ,दिवाली मनाएँगे ---------

(©) 

नीरू शर्मा


Dear reader

Deepawali is not only a festival of spreading light but also a symbol of hope, hope, safety and good health. Burning lamps on Deepawali turn the dark darkness of Amavasya into light, that is, Amavasya is a symbol of the calamities of darkness and despair, and the burning lamps are a symbol of bringing hope to life.While celebrating the flame by lighting diyas on Rama's return to Ayodhya, the burning diyas are also indicative that now the waving clouds of problems, despair, trouble and darkness have come to an end and replaced by Hope's Deepak. . A poem based on this is presented.

At the same time, our Honorable Prime Minister also emphasizes on the use of lamps. We should take forward our small and cottage industry so that all people can get employment. The problem of employment is a common problem and we are all well aware of this problem. Therefore, the potter should continue this work of his lamps, pottery, ax etc. We should all emphasize on the use of the goods manufactured in our own country.

(©) Neeru Sharma

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