संदेश

अक्तूबर, 2020 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

लखन के विश्वास की है कहानी उर्मिला ।।

प्रिय पाठकगण, यह कविता लक्ष्मण की पत्नी उर्मिला पर आधारित है जो प्रेम, त्याग,निष्ठा, सहयोग का सबसे उचित उदाहरण बनकर हमारे समक्ष प्रस्तुत हुई हैं ।  जब राम बन जा रहे थे तो लक्ष्मण ने भी उनके साथ जाने की ज़िद की। लक्ष्मण की पत्नी उर्मिला ने भी इनसे साथ चलने के लिए कहा लेकिन लक्ष्मण ने यह कहकर मना कर दिया कि उर्मिल अगर मैं तुम्हारे साथ वन में गया तो मैं अपने बड़े भाई की सेवा नहीं कर पाऊँगा ।  अतः भैया राम और माता सीता की अनुपस्थिति में तुम माता कौशल्या तथा मेरी माता सुमित्रा का अच्छे से ध्यान रखना । उन्होंने अपनी अनुपस्थिति में उर्मिला को ना रोने की शपथ भी दे डाली। पति के वियोग में उर्मिला ना तो रो सकने की स्थिति में थीं और ना ही हँसने की । 14 वर्ष का लक्ष्मण से विरह उनके लिए काफी पीड़ा दायक रहा । उर्मिला हमारे समक्ष एक आदर्श नारी के रूप में प्रस्तुत हुई हैं । उन्हीं पर आधारित एक छोटी सी कविता प्रस्तुत कर रही हूँ । आशा करती हूँ कि आप सभी को पसंद आएगी ।  प्रेम और त्याग की है कहानी उर्मिला।  लखन के विश्वास की है कहानी उर्मिला ।।  राम जब वन में गए ,सीता भी उनके साथ थीं।   लेकिन उर्मिल के साथ

प्रतापगढ़ का सफर

 प्रिय पाठकगण,   आज मैं आपके सम्मुख 29 फरवरी 2020 को मेरे विद्यालय द्वारा आयोजित शिक्षक भ्रमण की बात कर रही हूंँ। प्रतापगढ़ एक अद्भुत और रमणीय स्थान है किंतु वहाँ तक पहुँचने का हमारा सफर अत्यधिक जिज्ञासु प्रवृत्ति वाला रहा ,उस सफर के दौरान तथा वहाँ पहुँचने के बाद जो मैंने अनुभव किया उसे आपके सम्मुख सांझा कर रही हूँ।  दिनांक-29/02/2020 प्रतापगढ़ का वह सफर, चलता रहा एक पहर ।  समूह में  शिक्षिकाओं का गायन,  नेहा मैम का यू सत मौला देना ।।  रुचि मैम की मधुर मुस्कान, उदास चेहरे को खिला देने वाला मधुर स्पंदन। शिवानी मैम का यूँ बार-बार समय देखना, पिंकी और नादिया मैम का अपनी बातों में खोए रहना।।  लंबे सफर की सबके सुंदर मुख पर उदासी, बस पहुँँचने ही वाले हैं, शब्दों को सुनकर खिल उठना। बार-बार गॉगल्स को सिर पर रखकर बाल सम्भालना ,  शुभम सर का  गहरी नींद में सो जाना  वीरेंद्र सर का चुपचाप बैठे रहना।।  गेहूँँ की बालियों के आगमन पर लहाई द्वारा अभिनंदन, तेज हवा के झोंकों से बस की खिड़की का ये क्रंदन। मुशीर सर का यूँँ सभी को खाद्य पदार्थों का वितरण, पहुँँचने की अभिलाषा और मन का उत्साहित होना।।  प्रवेशिक