लखन के विश्वास की है कहानी उर्मिला ।।
प्रिय पाठकगण, यह कविता लक्ष्मण की पत्नी उर्मिला पर आधारित है जो प्रेम, त्याग,निष्ठा, सहयोग का सबसे उचित उदाहरण बनकर हमारे समक्ष प्रस्तुत हुई हैं । जब राम बन जा रहे थे तो लक्ष्मण ने भी उनके साथ जाने की ज़िद की। लक्ष्मण की पत्नी उर्मिला ने भी इनसे साथ चलने के लिए कहा लेकिन लक्ष्मण ने यह कहकर मना कर दिया कि उर्मिल अगर मैं तुम्हारे साथ वन में गया तो मैं अपने बड़े भाई की सेवा नहीं कर पाऊँगा । अतः भैया राम और माता सीता की अनुपस्थिति में तुम माता कौशल्या तथा मेरी माता सुमित्रा का अच्छे से ध्यान रखना । उन्होंने अपनी अनुपस्थिति में उर्मिला को ना रोने की शपथ भी दे डाली। पति के वियोग में उर्मिला ना तो रो सकने की स्थिति में थीं और ना ही हँसने की । 14 वर्ष का लक्ष्मण से विरह उनके लिए काफी पीड़ा दायक रहा । उर्मिला हमारे समक्ष एक आदर्श नारी के रूप में प्रस्तुत हुई हैं । उन्हीं पर आधारित एक छोटी सी कविता प्रस्तुत कर रही हूँ । आशा करती हूँ कि आप सभी को पसंद आएगी । प्रेम और त्याग की है कहानी उर्मिला। लखन के विश्वास की है कहानी उर्मिला ।। राम जब वन में गए ,सीता भी उनके साथ थीं। लेकिन उर्मिल के साथ