सच्चा साथी

 

प्रिय पाठक गण

 यह मानव जीवन बहुत कठिन है। जब से मानव के जीवन की शुरुआत होती है, तब से उसके जीवन में विभिन्न लोगों का आना जाना लगा रहता है। किंतु उन लोगों में से एक दो ही लोग ऐसे होते हैं, जो दोस्ती को बहुत शिद्दत से निभाते हैं ।  बाकी अन्य लोग आपका भरोसा तोड़ देते हैं। जिन पर हम भरोसा करते हैं, जिन पर हम विश्वास करते हैं ,जो हमें अपने लगते हैं, उनमें से ही कुछ विश्वासघाती निकल जाते हैं ।  लेकिन जिनकी हम परवाह नहीं करते ,उनमें से कुछ हमारा भला चाहने वाले, हमारे बारे में सोचने वाले , और हमारे हमदर्दी होते हैं। लेकिन कई बार हमारे मन में यह प्रश्न उठता है कि आखिर किसे अपना सच्चा दोस्त माने ? सच्चे दोस्त की परिभाषा क्या है? 

 आपके सुख के पलों में तो हर कोई आप का साथ निभाता है और आप से घनिष्ठ संबंध बनाने के लिए मौके ढूँढता रहता है । लेकिन जैसे ही आपके ऊपर संकट आता है, आप विपदाओं से घिर जाते हैं । तो वही दोस्त आपका साथ छोड़ कर, आप से मुँह मोड़ कर, बहुत दूर चले जाते हैं । लेकिन कभी गौर फरमाइएगा एक दो लोग ऐसे जरूर होते हैं जो दुख के पल में आपका साथ निभाते हैं। 

इस कविता के माध्यम से सच्चे साथी की पहचान बताई जा रही है। मेरे अनुसार इस कविता में बताए गए गुण वाले व्यक्ति आपके सच्चे दोस्त कहे जा सकते हैं। परंतु सच्चे दोस्त की पहचान को लेकर आपकी क्या राय है? वह आप कमेंट बॉक्स में जरूर लिख कर बताइएगा। 



जो भावों की कद्र करे, जो गहराई से जाने

जो हर पल तुमको माने, वही है सच्चा साथी


जो हरपल साथ खड़ा हो, हर विपदा से  लड़ा हो। 

जो जीवन को पहचाने, वही है सच्चा साथी।। 


जिसके आने से मन मुस्काए, आँखों में चमक आ जाए। 

उदासी दूर भाग जाए, वही है सच्चा साथी।। 


जो पास ना होकर भी, अपने होने का अहसास कराए। 

जिसे आप का हृदय हर जगह खोजता जाए, वही है सच्चा साथी।। 


जो आदर्श तुम्हें बनाए, सच की राह पर चलाए। 

तुम्हारी जीत पर हर्षाए, वही है सच्चा साथी।। 


जो दुःख में साथ न छोड़े, कभी तुमसे मुँह न मोड़े। 

वादा करके न तोड़े, वही है सच्चा साथी।। 


 जिसके साथ गुफ्तगू लंबी हो, बजट की ना कोई तंगी हो। 

 कुल्हड़ की चाय इंद्र भोज का सुख दे जाए, वही है सच्चा साथी।। 


जो जीवन आशा युक्त बनाए, निराशा को दूर भगाए। 

 संघर्षों में साथ निभाए, वही है सच्चा साथी।। 


जल रहित बनी इस मानव रूपी बगिया में। 

जो आकर तुमको महका जाए, वही है सच्चा साथी।। 


जो छाया बनकर साथ चला हो, किसी मोड़ पर तुम्हें न छला हो। 

जिसे तुमसे न कोई गिला हो, वही है सच्चा साथी।। 


इस लालच से भरी नगरिया मे, ऐसा कोई मिल जाए डगरिया में। 

उस महामानुष को समा लेना, तुम अपने दिल की गगरिया में.....।।


नीरू शर्मा

(©) 


Dear reader


 This human life is very difficult. Ever since man's life started, various people have started coming into his life. But of those people, there are only two people who hold on to friendship very strongly. Other people break your trust. Those we trust,  those we feel like, only a few of them become unfaithful.But what we do not care for, some of us are our well-wishers, thinkers of us, and our sympathizers. But many times the question arises in our mind that after all, who should be considered our true friend? What is the definition of true friend?

In your moments of happiness, everyone plays with you and keeps looking for opportunities to form a close relationship with you. But as soon as a crisis comes upon you, you are surrounded by disasters. So the same friend leaves you, turns away from you, goes far away. But sometimes there will be one or two people who definitely play with you in the moment of sorrow.
Through this poem, the identity of the true partner is being revealed. According to me the person mentioned in this poem can be called your true friend. But what is your opinion about the identity of a true friend? He will definitely tell you by writing in the comment box.

Neeru Sharma





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