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वीर सपूत

  प्रिय पाठक गण  आज की कविता में वीर सिपाही की जीवन यात्रा के संदर्भ में संक्षिप्त रूप से बताने का प्रयास किया गया है। देश की रक्षा करने वाले तथा उस पर मर मिट जाने वाले सिपाही वीर होते हैं। उनका जीवन दूसरों की सेवा करने में ही व्यतीत होता है और उनका पूरा जीवन वीर रस से ओतप्रोत होता है।  आज नन्हा परिंदा एक धरा की गोद  में आया। उसकी पहली किलकारी ने सभी का हृदयतल उमड़ाया। मुख पर धूल लपेटे जो माँ के आंचल से लिपटता था। कदम आगे बढ़ाता वो  कभी गिरता, फिसलता था।।  कभी प्यारी बहना के कान खींच उससे झगड़ता था। अगर कोई करे अपमान, उसे ढंग से रगड़ता था।। सबका थामे हाथ चलता चला, वह जीवन के सफर में। कभी संकट और मुश्किल ना आए , किसी की डगर में।।   जीवनसंगिनी साथ लिए वो अपने घर वापिस आया।  मंगल गान  हुए घर में और घर को पूरा सजवाया।। उसके घर के आंगन में नन्ही चिड़िया ने चहचहाया। उसकी ठुमक ठुमक चाल से उसका मन था हर्षाया।।  तभी खबर एक दिन आ पहुँची  माँ भूमि ने था उसे बुलाया ।  रण क्षेत्र में जा पहुँचा और दुश्मन को खूब छकाया ।।  मंजिल इतनी सरल नहीं है यह लोगों ने था समझाया । पर अपनी छाती पर उसने विजयी तिरंगा फ