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माँ की उपासना

    हे जगत माता  आप समस्त बाधाओं का अंत कर अपने भक्तों पर अपनी कृपा दृष्टि सदैव बनाए रखती हैं । लेकिन जब भी हम पूजा अर्चना करने बैठते हैं तो इस चंचल मन में कई विकार उत्पन्न हो जाते हैं और कई बार ऐसा भी होता है कि आपके श्री चरणो में अर्पण करने के लिए हमारे पास पर्याप्त सामग्री भी उपलब्ध नहीं होती । हमारी त्रुटियों को क्षमा कर अपने भक्तजनों पर अपनी कृपा दृष्टि बनाए रखें माँ।  हम आपकी शरण में आए हैं। 🙏🙏🙏 मैं नादान हूंँ, अनजान हूंँ, मैं हूंँ तेरी शरण ।  धर दो दया का हाथ माँ पकड़ूँ तेरे चरण ।।  मैं नादान हूंँ, अनजान हूंँ, मैं हूंँ तेरी शरण।  धर दो दया का हाथ माँ पकड़ूँ तेरे चरण ।।  तेरे चरणों में माँ मुझे अमृत मिले ,  कष्ट मिटते हैं माँ और मिटते गिले।।  हर प्राणी का जीवन माँ फूले फले,  सुखी जीवन हो माँ तेरी छाया तले।।  मैं नादान हूंँ, अनजान हूंँ, मैं हूंँ तेरी शरण।   धर दो दया का हाथ माँ पकड़ूँ तेरे चरण।।  तू ममता की मूरत, तू दिल का सुकून ,  तुझको अपना बनाने का छाया जुनून ।  मुझको ले ले शरण, कर विपदाओं का हरण ,  अपनी ममता की नजरों से कर दे भरण।।   मैं नादान हूंँ, अनजान हूंँ, मैं हूंँ तेर